ये जो मुस्कुरा कर
दिल में इक लौ सी
जला गयी हो, उससे
कुछ पिघल सा गया हूँ मैं
तन्हा रात की सर्द हवाओं में
जो ये साथ होने का गर्म एहसास
दिला गयी हो, उससे
कुछ पिघल सा गया हूँ मैं
जो हो कर भी आज तुम
पास नहीं हो
उस बदनसीबी के आलम में
कुछ पिघल सा गया हूँ मैं
आज कुछ पिघल सा गया हूँ मैं
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